इस यात्रा के बारे में शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें–
देवप्रयाग भागीरथी और अलकनन्दा के संगम पर बसा पवित्र स्थान है। देवप्रयाग की प्रसिद्धि यहाँ बने रघुनाथ मंदिर के कारण भी है। रघुनाथ मंदिर के अन्दर काले पत्थर की बनी,6 फुट ऊँची रघुनाथ जी की मूर्ति विराजमान है। कहते हैं देवप्रयाग के इस प्राचीन मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने कराया था। बाद में गढ़वाल राजवंश ने इस मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया। इस स्थान का नाम देवप्रयाग होने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि देवशर्मा नाम ऋषि ने यहाँ भगवान विष्णु की तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिया और तबसे उस ऋषि के नाम पर ही इस स्थान को देवप्रयाग के नाम से जाना जाता है।
देवप्रयाग भागीरथी और अलकनन्दा के संगम पर बसा पवित्र स्थान है। देवप्रयाग की प्रसिद्धि यहाँ बने रघुनाथ मंदिर के कारण भी है। रघुनाथ मंदिर के अन्दर काले पत्थर की बनी,6 फुट ऊँची रघुनाथ जी की मूर्ति विराजमान है। कहते हैं देवप्रयाग के इस प्राचीन मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने कराया था। बाद में गढ़वाल राजवंश ने इस मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया। इस स्थान का नाम देवप्रयाग होने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि देवशर्मा नाम ऋषि ने यहाँ भगवान विष्णु की तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिया और तबसे उस ऋषि के नाम पर ही इस स्थान को देवप्रयाग के नाम से जाना जाता है।