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अब मेरी अगली मंजिल थी– विश्व शांति स्तूप। ब्रह्म कुण्ड से लगभग 2-2.5 किमी आगे चलने पर मुख्य सड़क छोड़कर बायें हाथ एक सड़क निकलती है जहाँ विश्व शांति स्तूप के बारे सूचना दी गयी है। मैं इसी सड़क पर मुड़ गया। लगभग 200 मीटर की दूरी पर सड़क के बायें किनारे जीवक आम्रवन के अवशेष हैं। यह वह स्थान है जहाँ राजवैद्य जीवक ने,चचेरे भाई देवदत्त द्वारा भगवान बुद्ध को आहत किये जाने पर उनके घावों पर पटि्टयां बाँध कर उनका इलाज किया था। जीवक ने यहाँ पर बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए एक विहार का निर्माण भी करवाया था।