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भारत सेवाश्रम संघ में 200 रूपये में तीन बेड का कमरा मिला था। तीन रजाइयाँ भी मिली थीं। उधर केदारनाथ में दो बेड पर चार "हैवी रजाइयाँ" मिलीं थीं। संभवतः ठण्ड को देखते हुए। इतनी ठण्ड थी कि एक रजाई को ही गद्दा बनाकर गद्दे के ऊपर बिछाना पड़ा। वैसे यहाँ ऐसी बात नहीं थी। रजाइयाँ बहुत भारी नहीं थीं फिर भी ठण्ड महसूस नहीं हुई। भरपूर नींद आई। थकान भी उतारनी थी। केदारनाथ में एक बाल्टी गरम पानी का जुगाड़ होने के बाद भी नहाने की हिम्मत नहीं हुई थी तो फिर यहाँ ठण्डे पानी से कौन नहाता है।