दोपहर के 12.25 बजे ट्रेन से उतरने के बाद हम न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से बाहर निकले। पसीने से भीगे कपड़ाें से लदा और रात भर की अनिद्रा व भागदौड़ से परेशान शरीर,परमतत्व की प्राप्ति जैसा अनुभव कर रहा था। बाहर रिक्शों और टैक्सियों की लाइन लगी थी। मानो हमसे यह पूछा जाने वाला था कि किस लोक में जाना है। पूछने की जरूरत ही नहीं थी। धड़ाधड़ ऑफर मिल रहे थे। हमारे चेहरे से ही जाहिर था कि हम किसी दूसरी दुनिया से आये हुए एलियन हैं। एक टैक्सी वाले ने अपना किराया बताया तो पांव तले की जमीन खिसक गई।
Friday, April 28, 2017
न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग की ओर
दोपहर के 12.25 बजे ट्रेन से उतरने के बाद हम न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से बाहर निकले। पसीने से भीगे कपड़ाें से लदा और रात भर की अनिद्रा व भागदौड़ से परेशान शरीर,परमतत्व की प्राप्ति जैसा अनुभव कर रहा था। बाहर रिक्शों और टैक्सियों की लाइन लगी थी। मानो हमसे यह पूछा जाने वाला था कि किस लोक में जाना है। पूछने की जरूरत ही नहीं थी। धड़ाधड़ ऑफर मिल रहे थे। हमारे चेहरे से ही जाहिर था कि हम किसी दूसरी दुनिया से आये हुए एलियन हैं। एक टैक्सी वाले ने अपना किराया बताया तो पांव तले की जमीन खिसक गई।
Friday, April 21, 2017
बक्सर से न्यू जलपाईगुड़ी की रेल यात्रा
अप्रैल के प्रारम्भ से ही लू व गर्मी की शुरूआत लगभग हो ही जाती है और इस समय पहाड़ी इलाकों का मौसम बहुत ही सुहावना हो जाता है। भारत के बहुत सारे हिल स्टेशनों में से दार्जिलिंग भी एक है। मैंने भी दार्जिलिंग की खूबसूरती के किस्से सुन रखे थे तो अपना भी मन चल पड़ा एक दिन दार्जिलिंग की सैर पर। इस सफर में संगीता भी साथ थी। इस वजह से इस बात का भी डर नहीं था कि बंगाल की जादूगरनी औरतें मुझे तोता बना सकें। दार्जिलिंग का नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी और नजदीकी बस स्टेशन सिलीगुड़ी है। तो न्यू जलपाईगुड़ी की ट्रेन पकड़ने के लिए हम बलिया से चल पड़े बिहार के एक रेलवे स्टेशन बक्सर के लिए।
Friday, April 7, 2017
रामनगर और चुनार
कल दिन भर मैं सारनाथ में बुद्ध के उपदेश ग्रहण करता रहा। बनारस मेरे लिए बहुत पहले से ही परिचित सा रहा है। तो आज मैंने रामनगर और चुनार के किले देखने का प्लान बनाया। रामनगर तो गंगा उस पार बनारस से सटे हुए ही है लेकिन वाराणसी से चुनार की दूरी लगभग 45 किमी है। वैसे बनारस से चुनार जाने के लिए पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हैं। वाराणसी सरकारी बस स्टैण्ड से विंध्याचल जाने वाली बसें चुनार होकर ही जाती हैं। इसके अतिरिक्त ऑटो रिक्शा भी जाते हैं लेकिन इनके दो रूट हैं। वाराणसी कैण्ट से राजघाट पुल पार कर पड़ाव के लिए ऑटाे जाती है। पड़ाव से चुनार के लिए आटो मिल जाती है।
Subscribe to:
Posts (Atom)