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समुद्र स्नान में 10.30 बज गये थे। वापस लौटे तो कमरे पर नहा–धोकर फ्रेश होने में 12 बज गये। अब चिन्ता थी पुरी के स्थानीय भ्रमण के लिए साधन खोजने की। चक्रतीर्थ रोड पर जगह–जगह आटो वाले खड़े–खड़े सवारियों का इन्तजार करते मिल रहे थे। कइयों से बात की तो पुरी के साधनों एवं उनके रेट का पता चला। पुरी में कहीं से भी कहीं जाने के लिए आटो मिल जायेंगे। इतना ही नहीं,जो दूरियां बसें एवं अन्य चारपहिया वाहन तय करते हैं,उनके लिए भी आटो उपलब्ध हैं। छोटे चारपहिया वाहनों का सिस्टम यहां बहुत कम है। सड़कें अच्छी हैं इसलिए आटो में भी कहीं जाने में कोई दिक्कत नहीं है।
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Friday, February 24, 2017
Friday, February 17, 2017
पुरी–समुद्री बीच पर
जय जगन्नाथǃ
यह उद्घोष जहां होता है वह है जगन्नाथ की नगरी– 'पुरी' या जगन्नाथपुरी।
समुद्र के किनारे बसे इस छोटे से शहर में,यहां के निवासियों के साथ–साथ समुद्र भी निरन्तर जय जगन्नाथ का उद्घोष करता रहता है। प्राकृतिक और धार्मिक सुन्दरता से भरपूर इस शहर की यात्रा पर एक दिन हम भी निकल पड़े। हम यानी– मैं और मेरी साथी संगीता। जनवरी के अन्तिम सप्ताह में जबकि पूरा उत्तर भारत शीतलहरी के प्रकोप से कराह रहा होता है,भारत के पूर्वी हिस्से में बसे राज्य उड़ीसा की सांस्कृतिक राजधानी पुरी का मौसम बहुत ही सुहाना होता है।