पंचों,
त्योहारों का मौसम आ गया है।
आजकल बड़ी गहमागहमी है। अपने मनबढ़ पड़ोसी ससुर पाकिस्तान को लेकर देश की सारी जनता गुस्से में है। हर कोई अपने–अपने तरीके से मन की भड़ास निकाल रहा है। कोई देशभक्ति की राजनीति कर रहा है तो कोई देशद्रोह की राजनीति कर रहा है। कोई सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहा है तो कोई सबूत मांगने वालों की खिंचाई कर रहा है। सबका अपना–अपना मतलब है। कोई बार्डर पर तार लगवाने की बात कर रहा है तो कोई पहरा बढ़ाने की बात कर रहा है। और पंचों आप तो जानते ही हैं कि हम हिन्दुस्तानी एक दूसरे की टांग खींचने में माहिर हैं। सो टंगखिंचउवल तो होनी ही है। पर भाइयों हम तो कुछ दूसरी ही बात कहेंगे।
दशहरे का त्योहार है। भक्ति के मोर्चे पर भी हम बहुत आगे हैं। अब जिसके अन्दर जितनी भक्ति है वह उतनी ही मोटी और बड़ी रस्सी लेकर सड़क पर खड़ा है। क्या मजाल कि कोई चन्दा दिये बिना गुजर जाये। और ये चन्दा वसूलने वाले लड़के भी हमारे पैराकमाण्डो से कहां कम हैं। कोई चारपहिया गाड़ी के आगे ऐसे खड़ा हो जाता है जैसे गाड़ी रोकने का रिमोट उसी के पास हो तो कोई चलती ट्रक की खिड़की पर ऐसे चढ़ता है कि हमारे बजरंग बली भी शरमा जायें। और भाइयों एक दिन अपन भी बाइक लेकर इस रस्सी रूपी बार्डर से भिड़ते–भिड़ते बचे तो दिमाग में एक नया आइडिया आया। क्यों न अपने इन चन्दे वाले पैराकमाण्डोज को यही रस्सी थमाकर पाकिस्तान के बार्डर पर तैनात कर दिया जाय। फिर क्या मजाल किसी मसूद अजहर की कि भारत में घुस जाये। ये रस्सी छोडेंगे ही नहीं भले किसी आतंकवादी का एक्सीडेंट हो जाये।
तो पंचों अपनी राय बताइयेगा ये आइडिया कैसा रहाǃ
राम राम पंचोंǃ
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