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सुबह के 8.30 बजे मैं भागलपुर से सुल्तानगंज की ओर चल पड़ा। इसी रास्ते पर भागलपुर के पास ही,नाथनगर में एक जैन मंदिर के बारे में पता चला था। लेकिन यह मंदिर किस गली में था,मैं नहीं ढूँढ़ पाया। कई लोगों से पूछने के बाद भी इसका सही पता नहीं लग पाया। अधिक समय नष्ट करना भी मुनासिब नहीं था। अगले एक घण्टे में मैं सुल्तानगंज के गंगा घाट पर था। रास्ते में अत्यधिक ट्रैफिक मिला। सुल्तानगंज का नाम मैंने बहुत सुन रखा था। मेरे गाँव के मित्र यहीं से काँवड़ लेकर देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम तक की लगभग 104 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते रहे हैं। मेरे साथ ऐसा दुर्भाग्य रहा कि मैं एक बार भी काँवड़ न ले जा सका।